Surah Kausar In Hindi

Surah Kausar in Hindi | सूरह अल-कौसर

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Surah Kausar in Hindi | सूरह अल-कौसर

सूरह-अल-कौसर क़ुरआन शरीफ़ के 30 वें पारे में 108 वीं सूरह है। इस आर्टिकल में आज हम आप लोगों को बताने वाले हैं, Surah Kausar In Hindi और साथ ही साथ हम बात करेंगें, सूरह कौसर से जुड़े ख़ास किससे के बारे में , ख़ासियतों के बारे में और आप को ये भी बतायेंगे, कि कौसर शब्द का क्या मतलब होता है। अगर आप जानना और समझना चाहते हैं, Surah Kausar In Hindi तो यह आर्टिकल पूरा पढ़ियेगा।


Surah Kausar In Hindi

  • इन्ना अअ्तैना कल् कौसर्
  • फ़-सल्लि लिरब्बि-क वन्हर्
  • इन्न शानि-अ-क हुवल् अब्तर्


Surah Kausar in Hindi

  • इन्ना अअ्तैना कल् कौसर्

【 अल्लाह के प्यारे रसूल बे-शक अल्लाह ने आप को कौसर अता किया 】

  • फ़सल्लि लिरब्बि वन्हर्

【 तो आप अपने मालिक की अपने ख़ुदा की इबादत कीजिये नमाज़ पढ़िए। 】

  • इन्न शानि हुवल् अब्तर्

【 और अल्लाह पाक की राह में क़ुर्बानी दिया कीजिए बेशक आप का हर दुश्मन बे-नामोनिशान रहेगा 】


सूरह कौसर से जुड़ा ज़रूरी किस्सा

सूरह कौसर सऊदी अरब के एक शहर मक्का शरीफ़ में नाज़िल हुई थी, ( उतारी गई थी )। सूरह कौसर में कुल 3 आयतें हैं ।

अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम जब मक्का शरीफ में थे तो बीबी खदीजा र.अ. से दो बेटे और चार बेटियां पैदा हुए थे।

अल्लाह के रहम ओ करम से अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम की चारों बेटियाँ यो हयात और सेहत्याब रहीं, लेकिन दोनों बेटों ने अल्लाह के हुक़्म से बचपन में ही परदा ले लिया ( वफ़ात पा गए)।

अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम के  एक साहबज़ादे का नाम मुबारक क़ासिम था और दूसरे साहबज़ादे का नाम मुबारक़ अब्दुल्लाह था।

उसके बाद अल्लाह के प्यारे नबी के घर मुबारक में  हज़रत मारिया किब्तिया से हज़रत इब्राहीम पैदा हुए लेकिन अल्लाह के हुक़्म से उन्होंने भी बचपन मे परदा ले लिया ( वफ़ात पा गए )।

ख़ुदा की मसलिहत तो ख़ुदा ही जानता है, मगर अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम के सारे बेटों के परदा ले लेने की ( वफ़ात हो जाने ) की हिकमत थी, कि आम तौर पर हर आम इंसान का ख़ानदान उसके बेटे से ही चलता है।

उसी तरह एक नबी (पैग़म्बर) के बाद उस की औलाद को ही पैग़म्बरी से नवाज़ा जाता था, लेकिन अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम पर नबियों का और नबुवतवत का सिलसिला ख़त्म हो चुका है, आप आख़िरी नबी हैं, सो अब ऐसे में हालात में अल्लाह पाक अगर आप के बेटों को हयात रखता तो लोग ग़लतफहमी का शिकार बन सकते थे और जो लोग अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम के लिए अपने दिल में इफरात रखते थे, वो ये ग़लत फ़हमी और झूठी अफवाहें फैला सकते थे।

इसलिए अल्लाह ने हुज़ूर के दोनों बेटों को ज़मीन पर न रहने दिया। जब मक्का शरीफ़ में अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम के दोनों बेटों ने परदा ले लिए ( वफ़ात पा लिया ) तो सब के सब क़ाफ़िर मिल कर यह कहने लगे हुज़ूर का तो कोई बेटा ही नहीं है, अब आप का ख़ानदान आगे कैसे बढ़ेगा ।

क़फ़िरों ने नाउज़ोबिल्लाह ऐसे जुमलों का इस्तेमाल किया, कि अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम तो अब गम नाम हो जाएंगे, क्योंकि अब उनकी नस्ल आगे बढ़ाने वाला तो कोई है ही नहीं ।

लेकिन उन कम इल्म लोगों को यह नहीं पता था, कि अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम का ज़िक्र ज़मीन से ले कर आसमान तक जारी कर दिया था और हमेशा रहेगा।

आलाह पाक ने अपने प्यारे नबी के लिए एक ऐसी उम्मत बना दी जो क़यामत तक हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम की मोहब्बत अपने दिल मे समेटे हुए रहेगी। और फिर अल्लाह पाक के हुक़्म से जो क़ाफ़िर ऐसे जुमले बोला करते थे, वो सब क़ाफ़िर बे-नामोनिशान हो गए और अल्लाह के प्यारे नबी का नाम दोनों जहानों में गूँजता है। और इसलिए सूरह कौसर की तीसरी आयत में आया ” इन्न शानि-अ-क हुवल् अब्तर् ” ( और क़ुर्बानी दिया करो बे-शक आप का दुश्मन बे-नामोनिशान रहेगा )।


सूरह कौसर की तीन ख़ास बातें

◆ सूरह कौसर की पहली आयत में अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम को बहुत सारी अच्छाइयों और भलाईयों की बशारत दी गई है।

◆ सूरह कौसर की दूसरी आयत में अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम को अल्लाह पाक की इबादत करने नमाज़ पढ़ने और क़ुरबानी करने का हुक़्म दिया गया है।

◆ सूरह कौसर की तीसरी आयत में अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम को बताया गया की आप के जो दुश्मन हैं वो चाहें कुछ भी कर लें लेकिन आप का कुछ नही बिगाड़ सकते बल्कि आप के दुश्मन हमेशा अच्छाइयों और ख़ुशयों से महरूम रहेंगे।


Kausar Kya Hai | ” कौसर “ क्या है ?

जन्नत में एक बहुत बडी सी नहर है, जिसका नाम है कौसर। यह नहर अल्लाह पाक ने अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम को अता करी है।

महशर के रोज़ अगर कोई शख़्स इस नहर से एक बार पानी पी लेगा तो ज़िंदगी भर उसे कभी प्यास नहीं लगेगी। यह नहर चारों तरफ़ से ख़ूबसूरत कालीनों ने सजी होगी, ज़मीन पर सोने से बनी कुर्सियां होंगी, नहर के चारों जानिब बेष कीमती मोतियों से सजे हुए घरों की कतारें दिखेंगी, नहर को सजाने के लिए इतना सामान होगा जितने आसमान में तारे होते हैं।

अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम महशर के दिन वहाँ पर मौजूद रहेंगें और फिर अल्लाह के प्यारे नबी के सारे उम्मती वहाँ आयेंगे और उस नहर में से पानी पियेंगे।

अल्लाह के प्यारे नबी की मौजूदगी में जिस को भी उस नहर से पानी पीने का मौका मिलेगा समझलो वो कामयाब हो गया। अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम के लिए अल्लाह पाक ने “सूरह कौसर” नाज़िल करी है।

( सही बुख़ारी शरीफ़ की हदीस :4965 ) में बताया गया है, कि बीबी आइशा रज़ियल्लाह तआला अन्हा का फ़रमान है, कि कौसर एक नहर है, जो अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम को अल्लाह पाक ने अता करी है।

कौसर एक ऐसी नहर है, जिस के दोनों किनारों की तरफ़ मोती जड़ें हैं और जिस के बर्तनों की तादाद आसमान के सितारों जितनी है। ( सही बुख़ारी शरीफ़ की हदीस : 4966) में इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हमा का फ़रमान है, कि कौसर वह अच्छाइयाँ हैं जो आलाह पाक ने अल्लाह पाक के प्यारे नबी हुज़ूर-अकरम-हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहू तआला अल्लालिही वसल्लम को अता करी हैं।


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Conclusion:-

आज के इस आर्टिकल में हमने आपको Surah Kausar In Hindi के बारे में बताया। सूरह कौसर का हिंदी अर्थ जानने के साथ-साथ हम ने यह भी जाना कि ” सूरह कौसर ” में ” कौसर ” लफ़्ज़ का क्या मतलब होता है और साथ ही हमने आप को सूरह कौसर से जुड़ा एक ख़ास किस्सा भी बताया ।

हम उम्मीद करते हैं, आप को अच्छे से समझ आ गया होगा Surah Kausar In Hindi. अगर आप को हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा हो, तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करिए। अपना क़ीमती वक़्त देने के लिए बहुत शुक्रिया।

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