Kriya Kise Kahate Hain

क्रिया किसे कहते हैं, क्रिया के भेद | Kriya Kise Kahate Hain

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आज का विषय है ” क्रिया OR Kriya Kise Kahate Hain “। क्रिया का निर्माण धातु से होता है। जब धातु में ” ना ” लगा दिया जाता है, तब क्रिया बन जाती है।

क्रिया को संज्ञा और विशेषण से भी बनाया जाता है। क्रिया हमें समय सीमा के बारे में संकेत देती है। क्रिया के रूप की वजह से हमें यह पता चलता है, कि कार्य वर्तमान में हुआ है, भूतकाल में हो चुका है या भविष्य काल में होने वाला होगा। तो आइए हम विस्तृत से ” क्रिया किसे कहते हैं ( Kriya Kise Kahate Hain ), इसके कितने भेद हैं ” जानेंगे।

क्रिया किसे कहते हैं | Kriya Kise Kahate Hain

क्रिया की परिभाषा ( Kriya Kise Kahate Hain ) :- ऐसे शब्द जो हमें किसी काम के करने या होने का बोध कराते हैं, वह शब्द क्रिया कहलाते हैं।

उदाहरण के लिए:- पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, खेलना, दौड़ना, सोना, भागना, नाचना, जागना, मारना, जाना, रहना, गाना इत्यादि। आइए आपको इसे वाक्यों के द्वारा समझाते हैं:-

  1. राम पढ़ रहा है।
  2. सुरेश खाना खाता है।
  3. मुकेश कॉलेज जा रहा है।
  4. घोड़ा दौड़ता है।
  5. राधा नाच रही है।
  6. मीरा बुद्धिमान है।
  7. सरोज किताब पढ़ रही है।
  8. बच्चा पलंग से गिर गया है।
  9. सुमन शरबत पी रही है।
  10. राज गाना गा रहा है।
  11. कुणाल बारिश में भाग रहा है।
  12. दादा जी आज सुबह जल्दी जाग गए। राम और श्याम खेल रहे हैं।
  13. मां सरोज को मार रही है।


क्रिया के भेद | Kriya Ke Bhed 

क्रिया के दो भेद होते हैं।

  1. अकर्मक क्रिया
  2. सकर्मक क्रिया

1. अकर्मक क्रिया :- अकर्मक क्रिया का अर्थ होता है, कर्म रहित। अर्थात जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पड़ती या सरल शब्दों में कहें, तो जो क्रिया प्रश्न पूछने पर कोई उत्तर नहीं देती, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं।

उदाहरण के लिए:- बरसना, खेलना, उछलना, रोना, टेरणा, कूदना, ठहरना, दौड़ना, सोना, ढोलना, मरना, घटना, थांधना, चमकना, होना, अकड़ना, डरना, बैठना, जागना, जीना।

अब इसे वाक्य के द्वारा समझेंगे:-

  1. वह चढ़ता है।
  2. पक्षी उड़ रहे हैं।
  3. श्याम रोता है।
  4. वह लजा रही है।
  5. मीरा गाती है।
  6. गौरव सोता है।
  7. वह हंसते हैं।
  8. सीमा खा रही है।
  9. गाड़ी चलती है।
  10. सांप रेंगता है।
  11. सीमा गाती है।
  12. राम दौड़ता है।

2. सकर्मक क्रिया :- जिस क्रियाओं का असर करता पर नहीं पड़कर, कर्म पर पड़ता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक होता है।

उदाहरण के लिए:-

  1. वह चढ़ाई चढ़ता है।
  2. श्याम चोट से रोता है।
  3. नीरू खाना खा रही है।
  4. मालती खुशी में हंस रही है।
  5. श्याम पुस्तक पढ़ता है।
  6. लड़के क्रिकेट खेलते हैं।
  7. कुत्ता हड्डी चबाता है।
  8. राधा मूर्ति बनाती है।
  9. राम बाण चलाता है।
  10. नेता भाषण देता है।
  11. सोनू सो रहा है।


सकर्मक क्रिया के भेद:-

इसके दो भेद हैं:-

  1. एक कर्मक क्रिया
  2. द्विकर्मक क्रिया

एक कर्मक क्रिया :- जिस क्रिया में एक ही कर्म होता है, उस क्रिया को हम एक कर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे:- सुनील कार चलाता है।

द्विकर्मक क्रिया :- जिस क्रिया में दो कर्म होते हैं, उस क्रिया को हम द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। इसमें पहला कर्म सजीव होता है और दूसरा कर्म निर्जीव होता है।

जैसे:- सुमन ने प्रीति को फूल दिए।

इस उदाहरण में ” देना ” क्रिया के दो कर्म है, ” सुमन एवं फूल ” अतः यह द्विकर्मक क्रिया होती है।



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अंतिम विचार :

आज हमने क्रिया ( Kriya Kise Kahate Hain ) और उसके भेदों के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है, उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आएगा।

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